इस बार गांव का मौसम बेहद सुहावना था। सर्दी अपने पांव पसार रही थी। न्यूनतम तापमान दस डिग्री के आसपास बना हुआ था। कुछ दिनों बाद कोहरे ने भी रंग दिखाया। ऐसे मेंं ताजी अदरक की चाय की चुस्कियां, लिट्टी-चोखा, मित्रों से मुलाकातें और दो-चार दिन के अंतराल के बाद निमंत्रण अर्थात् कचौड़ी-सब्जी का मजा ही कुछ और था। पालक सस्ती तो थी ही, ताजी भी थी, यहां कोयम्बत्तूर में १३० रुपए किलो मिलनेवाली मटर वहां महज ४० रुपए किलो में। वह भी ताजी और स्वाद ऐसा कि कच्चे ही चबाने का मन करे। आलू दस रुपए किलो मिल रही थी। बाजार से सब्जी लेकर आते समय खुशी होती थी। सौ रुपए लेकर जाओ तो झोला भरकर सब्जी लाओ। ताजी और स्वाद से भरपूर सब्जियां। बड़े शहरों में न तो यह स्वाद है और न ही पौष्टिकता।
गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में अब बच्चों की संख्या घट रही है। ज्यादातर बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ रहे हैं। क, ख, ग के बजाय एबीसीडी सीखने को प्राथमिकता दे रहे हैं। सुबह हार्न बजाती हुई स्कूल वैन पहुंचती है और शाम को घर के पास छोड़ देती है। फीस ज्यादा है लेकिन ऐसे स्कूल अब प्रतिष्ठा से जुड़ गए हैं। लोग बताते हैं कि अब वही बच्चे सरकारी स्कूल जाते हैं जिनके अभिभावक बेहद दीन-हीन हैं।
गांव के बाहर की सडक़ मरम्मत होने के बाद से ही दुर्घटना वाली सडक़ बनती जा रही है। आए दिन भिड़ंत होती रहती है। कई लोगों की जान जा चुकी है। गांव में बारात आई थी। कोहरा भी घिरा था। भिड़ंत हुई दो लोगों को मरहम-पट्टी करानी पड़ी।
गांव में आ रहा बदलाव सुबह ही दिखाई देना लगता है। मौसम बरसात का हो, या शीतलहर चल रही हो, गर्मी के दिन हों या कोहरे के कारण दस मीटर की दूरी पर भी कुछ भी देखना मुश्किल हो, इन सबको परास्त करते हुए लोग अब अलसुबह ही सडक़ पर दिखाई देने लगते हैं। कभी राजरोग कहे गए शुगर और बीपी जैसे रोग अब मध्यमवर्ग को चपेट में लेने लगे हैं। इनसे बचने या नियंत्रित रखने के लिए टहलने निकल पड़ते हैं। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं जिनके पहले की पीढिय़ां जांत से गेहंू पीसती थीं, चकरी पर दाल दलती थीं और जीवनशैली से जुड़े रोगों के बारे में जानती भी नहीं थीं।
एक दिन टहलने जा रहा था तो देखा कि एक लडक़ा साइकिल से ईंट ढो रहा था। वह भी साइकिल के डंडे वाले हिस्से के नीचे। आसान नहीं था लेकिन कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
Nicely write you big brother
ReplyDeleteNicely write you big brother
ReplyDeleteThandh ka alag hi maja hai bhai
ReplyDeleteKhet se khudi huii nayee aalu taza hara mater aur phir usaka damaalu
Wahh maza aa jaye aur ager usake saath taza ganne ka rash.. Wahh bhai.. Wahh
Thandh ka alag hi maja hai bhai
ReplyDeleteKhet se khudi huii nayee aalu taza hara mater aur phir usaka damaalu
Wahh maza aa jaye aur ager usake saath taza ganne ka rash.. Wahh bhai.. Wahh